पुलिस-दोस्त की नई योजना
यह बात अक्सर कही जाती है कि वकील और पुलिस की न दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी. लेकिन छत्तीसगढ़ में यहाँ के पुलिस विभाग के मुखिया एक नही कई बार यह कह चुके हैं कि राज्य में अपराध को तभी नियंत्रित किया जा सकता है जब पुलिस, जनता को अपना मित्र माने. आखिरकार पुलिस महानिदेशक की इस योजना को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुर हो गई है. रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक ने आम लोगों को पुलिस मित्र बनाने के लिए उनसे अपना बायोडाटा जमा करने की अपील की है. यह पहल निश्चित रूप से अच्छी है क्योंकि इससे राजधानी में अपराध नियंत्रण में काफी हद तक मदद तो अवश्य मिलेगी. पुलिस को ज्यातर अपराध के मामलों में घटना स्थल से समय पर सूचना नही मिल पाती , क्योंकि आम लोग यही सोच लेते है कि पुलिस को बताने का मतलब है अपने लिए मुसीबत मोल लेना. पुलिस को कुछ मदद की तो बेवजह पुलिस थाने के चक्कर काटते रहने के सिवा और क्या हासिल होगा ? यही एक नकारात्मक सोच आम जनता को पुलिस के साथ विश्वास का सम्बन्ध बनाने से रोक देती है. कुछ साल पहले भी यही योजना आरंभ हुई थी, लेकिन तब इसे जनता का कोई सहयोग नही मिलने के कारण यह फाइल में ही दफ्न हो गई थी. अब राज्य की पुलिस अपने प्रति लोगों की इसी नकारत्मक सोच को बदलने के लिए यह अभिनव योजना शुरू करने जा रही है. इसमे शामिल होने वाले लोगों को एक पहचान पत्र दिया जाएगा. इसके आधार पर उनके नाम भी थानों में लिखे रहेंगे, ताकि अगर उनके मोहल्ले में कोई आपराधिक घटना हुई, तो सम्बंधित थाने की पुलिस अपने मित्र- व्यक्ति से आरंभिक जानकारी ले सकती है. यह पहल वास्तव में पुलिस क छवि को भी सुधारने में मददगार होगी. देखना यह है कि इस योजना के लागू होने से अपराध नियंत्रण में पुलिस को कितनी सफलता मिलती है ?
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